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तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार बार होगी / ख़्वाजा मीर दर्द
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|रचनाकार=ख़्वाजा मीर दर्द
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[[category: ग़ज़ल]]
तुम आज हंसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी<br>
विनय प्रजापति
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