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जी तक तो लेके दूँ कि तू हो कारगर कहीं / सौदा
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|रचनाकार=सौदा
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[[category: ग़ज़ल]]
जी तक तो लेके दूँ कि तू हो कारगर कहीं<br/>
ऐ आह! क्या करूँ, नहीं बिकता असर कहीं<br/>
विनय प्रजापति
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