|संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
शायद बारिश हो रही होगी ख़ूब
या ख़ूब ठंड होगी
या ख़ूब गर्मियाँ
हो सकता है चल रही हो आंधी
उड़ रहे हों पत्ते,
उड़ रही हो धूल--
हम विदा हो जाएंगे
कोई पहचानेगा उस वक़्त
बूंदों का गिरना
हवा का सिहरना
उड़ना धूल का !
हम विदा हो जाएंगे !
</poem>