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जाग रहे हैं / प्रयाग शुक्ल
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12:47, 1 जनवरी 2009
|संग्रह=यह जो हरा है / प्रयाग शुक्ल
}}
<Poem>
सोने चले
गये
गए
बच्चे
क्रिकेट खेलने वाले
चलाने वाले तिपहिया सायकिल
सोने चले
गये
गए
।
जाग रहे हैं बच्चे
तश्तरियाँ-प्लेटें साफ़ करते
ढोते सामान
जाग रहे हैं ।
</poem>
अनिल जनविजय
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