|संग्रह=
}}
<Poem>व्यंजन पकाने की विधियाँ कई हैं<br>व्यंजन भी कई हैं<br>ढेरों व्यंजनों के<br>पर, व्यंजन विधियों को चकमा देकर<br>कब और कैसे स्वाद को <br>मधुर तिक्त करते हैं<br>यही चमत्कार है।<br><br>
चाहें तो हम इसे रहस्य भी कह लें।<br>हाथों का जस<br>वह तो होता है <br>उससे भी बड़ी चीज वह मन है<br>जो व्यंजन पकाता है,<br>वह अदृश्य रहता है<br>स्वाद जो आता है जीभ पर<br>जान वह कैसे यह लेता है, <br>किस मन से व्यंजन पकाया गया।<br><br>
सामग्री , वह तो सोची होगी.<br>सामग्री बिन व्यंजन<br>यह तो सुना नहीं,<br>हाँ वह भी कैसे पकाई गयी<br>गईयह महत्वपूर्ण है।<br><br>
अंत तब यही होगा स्वाद का<br>कैसे जुटाये गये<br>
सामग्री व्यंजन विधियाँ।
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