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माँ / कुँअर बेचैन
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06:57, 3 जनवरी 2009
तुम्हारे सजल आँचल ने
धूप से हमको बचाया है।
चाँदनी
चांदनी
का घर बनाया है।
तुम अमृत की धार प्यासों को
अनिल जनविजय
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