गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
माँ / कुँअर बेचैन
No change in size
,
06:57, 3 जनवरी 2009
तुम्हारे सजल आँचल ने
धूप से हमको बचाया है।
चाँदनी
चांदनी
का घर बनाया है।
तुम अमृत की धार प्यासों को
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits