Changes

घर / कुँअर बेचैन

74 bytes removed, 22:18, 3 जनवरी 2009
|रचनाकार=कुँअर बेचैन
}}
[[Category:कविताएँ]][[Category:कुँअर बेचैन]]<Poem>
घर
 
कि जैसे बाँसुरी का स्वर
 
दूर रह कर भी सुनाई दे।
 
बंद आँखों से दिखाई दे।
 
 
दो तटों के बीच
 
जैसे जल
 
छलछलाते हैं
 
विरह के पल
 
याद
 
जैसे नववधू, प्रिय के-
 
हाथ में कोमल कलाई दे।
 कक्ष, आँगनआंगन, द्वार 
नन्हीं छत
 
याद इन सबको
 
लिखेगी ख़त
आँख
 अपने अश्रु से ज्यादाज़्यादा
याद को अब क्या लिखाई दे।
 '''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br/poem><br>'''''
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits