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चार मुक्तक / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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14:38, 6 जनवरी 2009
जोड़ने के काम में ज़िन्दगी हमने बिताई ।
जो थी शक्ति तुम्हारी तोड़ने के काम आई ||
आज हमको है नहीं तनिक भी अफ़सोस मन में ।
सदा ही उदास दिल में प्यार की ज्योति जगाई||
अनिल जनविजय
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