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यह न सोचो कल क्या हो / मीना कुमारी
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03:41, 7 जनवरी 2009
बहती नदी की बांधे बांध
चुल्लू
मे
में
हलचल क्या हो
हर छन हो जब आस बना
हर छन
फ़िर
फिर
निर्बल क्या हो
रात ही गर चुपचाप मिले
सुबह
फ़िर
फिर
चंचल क्या हो
आज ही आज की कहें-सुने
क्यो सोचे
क्यों सोचें
कल, कल क्या हो
.
द्विजेन्द्र द्विज
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