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आँखों में कभी अश्कों को भर कर नहीं जाते / प्राण शर्मा
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13:28, 9 जनवरी 2009
जाओ वहाँ पर जिस जगह दिल चाहें तुम्हारे
नफ़रत के मगर दोस्तो !
दफ्तर
दफ़्तर
नहीं जाते
इतना नही अच्छा तेरा ये डर मेरे साथी !
अनिल जनविजय
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