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लोहे के पेड़ हरे होंगे / रामधारी सिंह "दिनकर"
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12:20, 10 जनवरी 2009
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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
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लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,
नम होगी यह मिट्टी ज़रूर, आँसू के कण बरसाता चल।
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