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माँ / श्रीनिवास श्रीकांत
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13:11, 13 जनवरी 2009
|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत
|संग्रह=घर एक यात्रा
है
/ श्रीनिवास श्रीकांत
}}
<poem>
एक ऐसा जनन वृक्ष है माँ
पीपल और बरगद से भी
ज्य़ादा
ज़्यादा
पूजनीय
बड़ा
जिसने पार कीं
लालान्तर नदियाँ
काल के
अन्धेरे
अँधेरे
अन्तराल
सात धातुएँ तो हैं
द्विजेन्द्र द्विज
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