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कविता मुझ में / रेखा चमोली

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अनावश्यक ख़रीददारी के बीच
ठकठकाती है
स्म्वेदनाओं सम्वेदनाओं को
पलटकर दिखाती है
सड़क किनारे खेलते
न्ण्गनंग-धड़ंग बच्चे
और भीख मांगती माँएँ
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