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कविता मुझ में / रेखा चमोली
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15:08, 13 जनवरी 2009
अनावश्यक ख़रीददारी के बीच
ठकठकाती है
स्म्वेदनाओं
सम्वेदनाओं
को
पलटकर दिखाती है
सड़क किनारे खेलते
न्ण्ग
नंग
-धड़ंग बच्चे
और भीख मांगती माँएँ
अनिल जनविजय
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