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चेतक की वीरता / श्यामनारायण पाण्डेय
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02:00, 8 सितम्बर 2006
अरि की सेना पर घहर गया ।<br><br>
भाला गिर गया गिरा
निसंग
निशंग
<br>
बैरी समाज रह गया दंग <br>
घोड़े का
देख
ऐसा
देख
रंग<br><br>
''इस रचना को कविता कोश के लिये अनुनाद सिंह ने भेजा।<br><br>''
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घनश्याम चन्द्र गुप्त