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नासूर / रश्मि रमानी
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16:04, 13 जनवरी 2009
मिट गए वे तमाम निशान
जिस्म पर बन जाते हैं जो
अक्सर
ज़कम
ज़ख़्म
हो जाने के बाद
पर
नहीं भर सका वो नासूर
अनिल जनविजय
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