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रोजी / अमृता प्रीतम
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20:34, 13 जनवरी 2009
एक वक़्त की रोजी रख दे।
जो ख़ाली हँडिया
भरत
भरता
है
राँध-पकाकर अन्न परसकर
वही हाँडी उलटा रखता है
Eklavya
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