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घर -५ / नवनीत शर्मा
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[[Category:कविता]]
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यहीं से टूटता है घर
जब छोटे-छोटे उबाल
बन जाते हैं बड़े
ज्वालामुखी.
ज्वालामुखी।
</poem>
अनिल जनविजय
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