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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>जी तक तो लेके दूँ कि तू हो कारगर कहीं<br/>ऐ आह! क्या करूँ, नहीं बिकता असर कहीं<br/>कही<br/>होती नहीं है सुब्ह’ न आती है मुझको नींद<br/>जिसको पुकारता हूँ सो कहता है मर कहीं<br/><br/>साक़ी है इक तबस्सुमे-गुल१ फ़ुरसते-बहार२<br/>ज़ालिम, भरे है जाम तो जल्दी से भर कहीं<br/><br/>ख़ूँनाब३ यूँ कभी न मिरी चश्म से थमा<br/>अटका न जब तक आन के लख़्ते-जिगर४ कहीं<br/><br/>सोहबत में तेरी आन के जूँ-शीशए-शराब५<br/>ख़ाली करूँ मैं दिल के तई बैठकर कहीं<br/><br/>'''क़ता'''<br/><br/>ऐ दिल, तू कह तो मुझसे कि मैं क्या करूँ निसार<br/>आवें कभू तो हज़रते-’सौदा’ इधर कहीं<br/><br/>अंगुश्तरी६ के घर की तरह ग़ैरे-संगो-ख़िश्त७<br/>घर में तो ख़ाक भी नहीं आती नज़र कहीं<br/><br/>''१. फूल की मुस्कान, २. बसंत का समय, ३. ख़ून का आँसू,''<br/>''४. जिगर का टुकड़ा, ५. शराब के जाम की तरह, ६. अँगूठी,''<br/>''७. पत्थर और ईँट के आलावा''<br/><br/poem>