Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गजानन माधव मुक्तिबोध }} <poem> मैं बहुत दिनों से बहु...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गजानन माधव मुक्तिबोध
}}

<poem>
मैं बहुत दिनों से बहुत दिनों से
बहुत-बहुत सी बातें तुमसे चाह रहा था कहना
और कि साथ यों साथ-साथ
फिर बहना बहना बहना
मेघों की आवाज़ों से
कुहरे की भाषाओं से
रंगों के उद्भासों से ज्यों नभ का कोना-कोना
है बोल रहा धरती से
जी खोल रहा धरती से
त्यों चाह रहा कहना
उपमा संकेतों से
रूपक से, मौन प्रतीकों से

मैं बहुत दिनों से बहुत-बहुत-सी बातें
तुमसे चाह रहा था कहना!
जैसे मैदानों को आसमान,
कुहरे की मेघों की आशा त्याग
बिचारा आसमान कुछ
रूप बदलकर रंग बदलकर कहे।
</poem>
397
edits