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हनुमान चालीसा / तुलसीदास
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16:37, 17 जनवरी 2009
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,<br>
होय
सिद्ध
सिद्धि
साखी गौरीसा,<br><br>
तुलसीदास सदा हरि चेरा,<br>
कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा,<br><br>
पवन तनय संकट
हरन
हरण्
, मंगल मूरति रूप ॥<br>
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥<br><br>
द्विजेन्द्र द्विज
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