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इन तंग जूतों में / अवतार एनगिल
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|रचनाकार=अवतार एनगिल
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इन तंग जूतों में
लगे दुखने
एक जोड़ी पाँव
हे दूब!
हे धूप !
चट्टान री!
उतार कर इन्हें
मिलने तुम्हें
आ रहा हूं मैं
</poem>
प्रकाश बादल
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