Changes

वह / केदारनाथ सिंह

83 bytes removed, 06:08, 19 जनवरी 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna|रचनाकार: [[=केदारनाथ सिंह]]|संग्रह=अकाल में सारस / केदारनाथ सिंह }}
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:केदारनाथ सिंह]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~  <Poem>
इतने दिनों के बाद
 
वह इस समय ठीक
 
मेरे सामने है
 
न कुछ कहना
 
न सुनना
 
न पाना
 
न खोना
 सिर्फ़ आंखों आँखों के आगे 
एक परिचित चेहरे का होना
होना-
 
इतना ही काफ़ी है
 
बस इतने से
 
हल हो जाते हैं
 
बहुत-से सवाल
 
बहुत-से शब्दों में
 
बस इसी से भर आया है लबालब अर्थ
 
कि वह है
 
वह है
 
है
 और चकित हूं हूँ मैं 
कि इतने बरस बाद
 
और इस कठिन समय में भी
 
वह बिल्कुल उसी तरह
 हंस हँस रही है 
और बस
 
इतना ही काफ़ी है
  'अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits