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कहने दो उन्हें जो यह कहते हैं / गजानन माधव मुक्तिबोध
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13:39, 19 जनवरी 2009
खपरैलों-छेदों से
खिड़की की दरारों से
आती जब किरणें
है
हैं
तो सज्जन वे, वे लोग
अचंभित होकर, उन दरारों को, छेदों को
जाकर उन्हें कह दे कोई,
पहुँचा दे यह जवाब!!
क्रमशः...
</poem>
Eklavya
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