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|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरीमोमिन
|संग्रह=
}}
किसका शब ज़िक्रेख़ैर था साहब
नामे इश्क़ेबुताँ न लो 'मोमिन'
कीजिए बस ख़ुदा-ख़ुदा साहब
ग़ज़ल के ''''कठिन शब्दों के अर्थ :
ख़फ़ा--नाराज़-कुपित, जुम्बिशे लब--होंटो का हिलना
ख़त्तेआज़ादी--आज़ाद होने का पत्र- छुटकारा- तलाक़,
दमेआख़िर-- अंतिम समय, ज़िक्रेख़ैर--बखान,
नाम-ए-इश्क़-ए-बुताँ--मसीनों के प्रेम का नाम
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