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सारनाथ की एक शाम / शमशेर बहादुर सिंह
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16:26, 22 जनवरी 2009
संस्कृत वृत्तों में उन्हें बांधा सहज ही लगभग
:जैसे य' आकाश बंधे हुए हैं अपने
सरगम के
अट्टहाम
अट्टहास
में।
ओ शक्ति से साधक अर्थ के साधक
Eklavya
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