'''रचनाकार:''' [[केदारनाथ अग्रवाल]]
<pre style="overflow:auto;height:21em;">
:जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है :तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है :जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है:जो रवि के रथ का घोड़ा है:वह जन मारे नहीं मरेगा:नहीं मरेगा
:जो जीवन की आग जला कर आग बना है:फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है:जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है:जो युग के रथ का घोड़ा है:वह जन मारे नहीं मरेगा:नहीं मरेगा
</pre>
<!----BOX CONTENT ENDS------>
</div><div class='boxbottom'><div></div></div></div>