गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
भोर भयो जागहु, रघुनन्दन / तुलसीदास
1 byte added
,
15:33, 27 जनवरी 2009
अनुज सखा सब बोलनि आये | बन्दिन्ह अति पुनीत गुन गाये ||
मनभावतो कलेऊ कीजै | तुलसिदास कहँ जूठनि दीजै ||
</poem
>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits