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एक अंतर्कथा / भाग 2 / गजानन माधव मुक्तिबोध
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06:12, 28 जनवरी 2009
खोजती माँ,
बीनती नित्य सूखे डंठल
सूखा
सूखी
टहनी, रुखी डालें
घूमती सभ्यता के जंगल
वह मेरी माँ
Eklavya
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