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नीर भरी दुख की बदली / महादेवी वर्मा
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18:31, 28 जनवरी 2009
नव जीवन अंकुर बन निकली!<br><br>
पथ
ko
न मलिन करता आना,<br>
पद चिन्ह न दे जाता जाना,<br>
सुधि मेरे आगम की जग में,<br>
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