Changes

सदस्य वार्ता:Ktheleo

4 bytes added, 05:16, 31 जनवरी 2009
दर्द की बूँद हूँ,समंदर होने की दूआयें ना दे.
 
चिंगारी-ए-इश्क़ हूँ,मुझे हुस्न की हवाएँ न दे.
वक़्त के हाल पे हूँ जल्दी ही गुज़र जाऊँगा,
 
मुझ से घबरा के,फना होने की बददुआयं न दे.
गये वक़्त तो, वापस नही आते हैं कभी,
उन्हें बुलाने के लिए, दर्द की सदायें न दे.
ये तो ज़ालिम हैं रंग-ओ-बू से क्या लेना इनको,
चमन से कह दे इन्हें, अपनी वफाएं न दे.
_Kush Sharma
(www.sachmein.blogspot.com)
7
edits