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16:13, 31 जनवरी 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
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[[Category:कविता]]
<poem>
स्मित सिहर कमल कोमल कपोल पर मल प्रसून-परिमल ”पंकिल“।
स्मृति है निकुंज में हम गाते थे प्रिय! अनुराग-राग हिलमिल।
वह रहे अनंग उमंग अमर च्युत हो मधुमास-विलास नहीं।
तव मधु-चितवन पर थिरक उठी क्यों भरते वह उल्लास नहीं।
प्रेषित करती यह प्रणय-पत्रिका करना नाथ निराश नहीं।
बस मिले तुम्हारी चरण-धरा चाहती मुक्त-आकाश नहीं।
हे ग्वालिनियाँ के साँवलिया! बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥61॥
</poem>