Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल' |संग्रह= }} [[Category:कविता]] <poem> छू स...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रेम नारायण 'पंकिल'
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>

छू सकती केश-कलाप नहीं कर सकती नव जूड़ा-बन्धन।
कर कसती सरि-मज्जन न नवल आभूषण नवल-वसन-धारण।
प्राणेश-केलि-सुख-निधि विलीन हो जाय न हूँ इस हेतु-सभय।
तज दूँगी प्रातःकाल-कलेवा दिवस-असन रजनी का पय।
इन अधर दलों पर अंगराग का ग्रथन करूँगी प्राण! नहीं।
हॅं सभय, श्वाँस-माधुर्य तुम्हारा लुप्त न हो प्राणेश! कहीं।
दधि-मटकी लिये खड़ी विकला बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥141॥
</poem>
Anonymous user