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अस्वीकरण
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तब्दीली / ब्रज श्रीवास्तव
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16:09, 2 फ़रवरी 2009
जाना-पहचाना सा कुछ भी
जो सुनना चाहता
हू~म
हूँ
नहीं कहा जाता अब
जो देखना चाहता
हू~म
हूँ
नहीं दिखाई देता
अनिल जनविजय
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