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धूल की इस वीणा पर मैं तार हर त्रण का मिला लूं! <br><br>
भीत तारक मंदते मूंदते द्रग <br>
भ्रान्त मारुत पथ न पाता, <br>
छोड उल्का अंक नभ में <br>
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