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मैं जो रास्ते पे चल पड़ी / मीना कुमारी
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20:21, 3 फ़रवरी 2009
मैं जो रास्ते पे चल पड़ी
मुझे मंदिरों ने दी निदा
मुझे
मसजिदों
मस्जिदों
ने दी सज़ा
मैं जो रास्ते पे चल पड़ी
मेरी
सांस
साँस
भी रुकती नहीं
मेरे पाँव भी थमते नहीं
मेरी आह भी गिरती नहीं
मेरा दम ही कुछ ऐसे रुका
मैं कि रास्ते पे चल पड़ी
</poem>
विनय प्रजापति
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