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मेरे महबूब / मीना कुमारी
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20:23, 3 फ़रवरी 2009
मेरे दिल की धड़कनों से हमआहंग होकर उठती हैं तो
आफ़ताब की हयात आफ़री शुआओं से मुझे
तेरी जुदाई को बर्दाश्त करनें की
क़ुव्वत
क़ुव्वत1
मिलती है
'''शब्दार्थ: 1, ताक़त, बल, क़ुवत
</poem>
विनय प्रजापति
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