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बाँझ समय / तेज राम शर्मा

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[[Category:कविता]]
<poem>
इस बाँझ समय में
उपेक्षित पड़े रहेंगे
सृजन के सपने

शिशु मुख में
छिपे रह जाएँगे
स्तनों के सपने
मिट्टी
रेत में ढूँढेगी
अपने सपने

इस समय के मुँह को
और मैला कर जाएँगे
जल,वायु और आकाश
दीपावली का नहीं
यह उलटबासियों के
उत्सव का समय है।
</poem>
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