1,774 bytes added,
07:31, 4 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तेज राम शर्मा
|संग्रह=बंदनवार / तेज राम शर्मा}}
[[Category:कविता]]
<poem>
शब्दों के होंगे
नपे-तुले निश्चित अर्थ
भाषा और गणित में
अंतर केवल लिपि का होगा
सपनों और संवेदनाओं को
निष्कासित कर चुकी होंगी चीजें
जीवन के वटवृक्ष की छाया को
तलाशने निकला आदमी
मॉनिटर पर बंदी होगा
भविष्य के गर्भ में महावृक्ष के
बीज जड़ों को तलाशते होंगे
यंत्र में, यंत्र में, यंत्र
लिए होगा
जीवन का महा-मंत्र
शब्दकोशों में बंद होंगे
सत्य और सृजन के अर्थ
लेनदेन के बाजार में
सपने पड़े होंगे उपेक्षित
पश्चिम गए लोगों को
सदियों बाद सताएगी
घर की याद
नदी के साथ -साथ
लौटते हुए
हवा में गूँजेगा
बहती नदी का अलाप
धरती के गर्भ में
जड़ों में होगी कुलबुलाहट
पेड़ की सूखी शाखा पर
फूट पड़ेगी शायद एक कोंपल।
</poem>