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तो / लीलाधर जगूड़ी
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,
19:42, 4 फ़रवरी 2009
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी
}}
<Poem>
जब उसने कहा
कि अब सोना नहीं मिलेगा
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
पर अगर वह कहता
कि अब नमक नहीं मिलेगा
तो शायद मैं रो पड़ता ।
</poem>
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