Changes

शोक / अरुण कमल

89 bytes added, 06:50, 5 फ़रवरी 2009
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कमल |संग्रह=नये इलाके में / अरुण कमल
}}
<Poem>
इस अंचल की एक इंच भूमि भी
 
ऎसी नहीं कि जहाँ होकर गुज़री न हो
 
यह नदी
 
पर क्रोध नहीं शोक है मुझे कि
 
बार बार जो बदलती रही रास्ता
 
बार बार जो पोंछती रही अपने ही छाप
 
जो एक पल कभी बैठी नहीं थिर
 
पा न सकी वो रास्त अब तक
 
जिसे ढूँढती फिरी सारी धरती उकटेर ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits