1,021 bytes added,
21:24, 5 फ़रवरी 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=एक टुकड़ा धूप / ओमप्रकाश सारस्वत
}}
<Poem>
ज़िन्दगी !
जब तक चलोगी तुम
तुम्हारा साथ देंगे
और जाओ थक
या इस अति भीड़ में
तुम भूल जाओगे पथ
तो हिम्मत हारना न
क्योंकि इस पथ पर
थके जीवन का साथी ;
मौत भी है कि
इसलिए
इस मृत्यु के बढ़ते
निरन्तर कारवाँ के संग आ जाना
शुभे!
हम वायदा करते हैं
इन जानलेवा घाटियों के
हर पड़ाव पर ही
हम कर रहें होगे
तेरा फिर इंतज़ार
</poem>