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हँसी / हैरॉल्ड पिंटर
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,
03:32, 6 फ़रवरी 2009
ये झरती है और किकयाती है और रिसती है दिमाग़ में
ये झरती है और किकयाती है लाशों के दिमाग़ों में
और
ऐसे
यूँ
सारे झूठ हँसते हुए किए जाते हैं फ़राहम
जिन्हें सोख लेती है सिर कटी लाशों की हँसी बेदम
जिन्हें सोख लेते हैं हँसती लाशों के मुँह हर कदम
Eklavya
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