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सदस्य वार्ता:Seema sachdev

316 bytes added, 06:13, 6 फ़रवरी 2009
<sup>प्यारे बच्चों,आज आपके लिये आएगी।एक काव्य-कथा ले कर आयी हूँ- महलो की रानी<br />आशा है कहानी आपको पसन्द आएगी। <br />महलो की रानी<br />एक कहानी बड़ी पुरानीआज सुनो सब मेरी जुबानी<br />विशाल सिन्धु का पानी गहरा<br />टापू एक वहाँ पर ठहरा
महलो की रानी एक कहानी बड़ी पुरानीआज सुनो सब मेरी जुबानीविशाल सिन्धु का पानी गहराटापू एक वहाँ पर ठहरा <br />छोटा सा टापू था प्याराकुदरत प्याराकुदरत का अद्बुत सा नज़ारा<br />स्वर्ग से सुन्दर उस टापू पर<br />मछलियाँ आ कर बैठती अक्सर धूप अक्सरधूप मे अपनी देह गर्माने<br />टापू पे बैठती इसी बहाने<br />उसपर इक जादू का महल था<br />जिसका किसी को नही पता था<br /><br />चाँद की चाँदनी मे बाहरआता<br />और सुबह होते छुप जाता<br />उसको कोई भी देख न पाता<br />न ही किसी का उससे नाता<br /><br />एक दिन इक भूली हुई मछली<br />रात को जादू की राह पे चल दी<br />सोचा रात वही पे बिताए<br />और सुबह होते घर जाये<br /><br />देखा उसने अजब नज़ारा<br />चमक रहा था टापू सारा<br />सुंदर सा इक महल था उस पर<br />फूल सा चाँद भी खिला था जिस पर<br /><br />देख के उसको हुई हैरानी<br />पर मछली थी बडी सयानी<br />जाकर खडी हुई वह बाहर<br />पूछा ! बोलो कौन है अन्दर<br /><br />क्यो तुम दिन मे छिप जाते हो?<br />नज़र किसी को नही आते हो?<br />अन्दर से आई आवाज़<br />खोला उसने महल का राज<br /><br />रानी के बिन सूना ये महल<br />इसलिए रक्षा करता है जल<br />ढक लेता इसे दिन के उजाले<br />क्योकि दुनिया के दिल काले<br />....................................<br />मछली रानी बडी सयानी<br />समझ गई वो सारी कहानी<br />चली गई वो महल के अन्दर<br />अब न रहेगा महल भी खँडहर<br />..........................................<br />मछली बन गई महल की रानी<br />अब न रक्षा करेगा पानी<br />महल को मिल गई उसकी रानी<br />खत्म हो गई मेरी कहानी<br />*******************************</sup>