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भारत महिमा / जयशंकर प्रसाद
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18:28, 27 अगस्त 2006
पुरंदर ने पवि से है लिखा, अस्थि-युग का मेरा इतिहास ।।
सिंधू
सिंधु
-सा विस्तृत और अथाह, एक निर्वासित का उत्साह ।
दे रही अभी दिखाई भग्न, मग्न रत्नाकर में वह राह ।।
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घनश्याम चन्द्र गुप्त