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आइने में उसकी हँसी / सुदीप बनर्जी
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|रचनाकार=सुदीप बनर्जी
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आइने में उसकी हंसी
उसकी अंतरात्मा को
समानधर्मा सहेलियों के
जन्मांतरों में पिरोती हुई
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