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आग जलती रहे / दुष्यंत कुमार
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09:22, 3 मई 2007
फूल-पत्ती, फल छुआ
जो मुझे
छुने
छूने
चली
हर उस हवा का आँचल छुआ
... प्रहर कोई भी नहीं बीता
अछुता
अछूता
आग के संपर्क से
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Ramadwivedi