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ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी! / अमृता प्रीतम
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18:31, 7 फ़रवरी 2009
अब तू और मैं मानना चाहें या नहीं
यह और बात है।
पर उस दिन
जब
वक़्त
जब खिड़की के रास्ते बाहर को भागा
और उस दिन जो खून
Eklavya
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