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वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।।
8
न स्वार्थ का लेण जरा कहीं था,
वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।।
9
कोई कभी धीर न छोड़ता था,
वही हमारी यह आर्य्य-भूमि।।
10
स्वदेश के शत्रु स्वशत्रु माने,