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निकल न चौखट से से घर की प्यारे जो पट के ओझल ठिटक रहा है / सौदा
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17:04, 8 फ़रवरी 2009
<poem>
निकल न चौखट
से
से घर की प्यारे जो पट के ओझल ठिटक रहा है
सिमट के घट से तिरे दरस को नयन में जी आ, अटक रहा है
विनय प्रजापति
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