'''शब्दार्थ:
1. कुछ एक 2. सतही काव्य रचना 3. काव्य के रण क्षेत्र में 4. भवों और पलकों 5. तौर-तरीक़ा 6. प्रभावहीन काव्य 7. झूठा बहाना बनाकर
'''इस ग़ज़ल के बारे में कुछ विशेष:
यह ग़ज़ल उस्ताद 'सौदा' ने अपने ज़माने में पाये जाने वाले ना-शायरों(जो शायर नहीं हैं) के ऊपर व्यंग रूप में लिखी थी, आज हमारे समय में जाने कितने नाशायर हैं जिनपर यह बिल्कुल ख़री उतरती है।
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